...

Male Infertility in the 20s: पुरुषों में 20-30 साल के बीच बांझपन होने के मुख्य कारण और सुझाव


Male Infertility in the 20s: पुरुषों में 20-30 साल के बीच बांझपन होने के मुख्य कारण और सुझाव

डॉ. हेल्थ के आयुर्वेदिक विशेषज्ञ प्रमुख  हिमाँशु धवन  बता रहे हैं आखिर क्यों बढ़ रहा है पुरुषों में बांझपन का खतरा और क्या हैं इसके लक्षण –
Male Infertility in the 20s: जैसे जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती जाती है, बाँझपन की संभावना अधिक होती जाती है। हालाँकि यह भी कहा जाता है की male इनफर्टिलिटी सबसे अधिक 35 साल के बाद देखने को मिलती है, लेकिन आजकल बहुत सारे युवा लोग भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं। आजकल, 20s में भी कपल्स के लिए बांझपन इतना असामान्य नहीं है। और WHO की रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य आबादी में बांझपन की मौजूदगी 15-20 प्रतिशत है, और पुरुष बांझपन इस दर में 20-40 प्रतिशत का योगदान देता है। रिपॉर्ट के अनुसार भारत में पुरुष बांझपन की वैल्यू लगभग 23% है। लब्बोलुआब यह है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में पुरुषों में बांझपन लगातार बढ़ रहा है।

शराब: शराब का सेवन अधिक करने से टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो जाता है और साथ ही स्पर्म काउंट भी कम हो सकता है।
धूम्रपान: धूम्रपान न करने वाले अन्य लोगों की तुलना में धूम्रपान करने वाले लोगों में स्पर्म काउंट कम होता है।
तनाव: तनाव भी पुरुष बाँझपन का एक मुख्य कारण है। यदि तनाव लम्बे समय से है तो यह आपके sperm पैदा करने वाले होर्मोन को असंतुलित कर देता है।
मोटापा: शरीर का वजन अधिक होने के कारण हॉर्मोन में बदलाव देखे जाते हैं, और जिसके कारणवश पुरुषों में बाँझपन की समस्या पैदा हो सकती है।
वेरीकोसील: वेरीकोसील एक ऐसी स्थति है जिसमे टेस्टिकल्स की नसें सूज जाती हैं। वेरीकोसील स्पर्म उत्पादन में कमी या फिर स्पर्म की गुणवत्ता के सबसे सामान्य कारणों में से एक है।
लौ स्पर्म काउंट: पुरुषों में बांझपन की समस्या का एक मुख्य कारण स्पर्म की ख़राब गुणवत्ता यानि की लौ स्पर्म क्वालिटी और स्पर्म की संख्या कम होना भी है। जब वीर्य में स्पर्म काउंट कम होता है, तो इस कारणवश महिला को गर्भधारण करने में दिक्कत आ सकती है।

यह माना गया है की प्रत्येक 8 में से 1 कपल को गर्भधारण करने में कठिनाई आती है। और इसका मुख्य कारण पुरुष बांझपन है। पुरुष बांझपन को प्रभावित करने वाले मुख्या कारकों में से एक है युवाओं का अनहैल्दी लाइफस्टाइल। डॉ. हिमांशु धवन कहते हैं, पुरुषों को अपने 20 के दशक से ही कुछ कारकों के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए, इसमें शामिल हैं:

हैल्दी BMI बनाये रखें: BMI चरम पर नहीं होना चाहिए। एक बेहतर रिप्रोडक्शन क्षमता के लिए आदर्श BMI की रेंज लगभग 20-30 होती है।
रोजाना व्यायाम करें: रोजाना लगभग 20-30 मिनट निश्चित रूप से व्यायाम करना पुरुषों में बाँझपन को कम करने में मदद करता है।
7-8 घंटे की नींद रोजाना है जरुरी: पुरुषों में बांझपन को दूर करने के लिए लगभग 7-8 घंटे की नींद लेना और सही समय पर लेना बहुत जरुरी है। जल्दी सोना और जल्दी उठना बहुत जरुरी है।
जीवनशैली में परिवर्तन: जीवनशैली में परिवर्तन करने से, जैसे की वजन कम करना या धूम्रपान और शराब पीना छोड़कर मेल इन्फर्टिलिटी को काफी हद तक काम किया जा सकता है। पुरुषों को अपने शरीर को स्वस्थ बनाये रखना चाहिए – अच्छी तरह खायें और विषाक्त पदार्थों खासकर की धूम्रपान से दूर रहें। और तभी एक नये मेहमान को घर में लाने की योजना बनायें।
तनाव और अवसाद की तरह ही हमारी आधुनिक जीवनशैली में प्रदूषण की बढ़ती समस्या भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाती है। लंबे समय तक गाड़ी में बैठे रहने के कारण और गोद में लैपटॉप लेकर घंटों घर पर काम करने से भी वृषण का तापमान बढ़ता है जिससे स्पर्म की गुणवत्ता कम हो जाती है। हाल के वर्षों में एक और प्रवृत्ति देखी गई है कि कपल्स अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करने के कारण गर्भावस्था में देरी करते हैं। और फिर बाद में बांझपन की समस्या बढ़ जाती है।

स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल और किसी लम्बी बीमारी भी लो-स्पर्म काउंट की समस्या का कारण बनते है। तो वहीं, कई पोषक तत्वों की कमी, फ्री-रैडिकल्स से नुकसान जैसे कारणों का भी असर फर्टिलिटी पर पड़ता है। लेकिन, समय पर डॉक्टर की मदद और सही लाइफस्टाइल से इस परेशानी से राहत भी पायी जा सकती है।
डॉक्‍टर हिमांशु धवन कहते हैं, “आयुर्वेद में पुरुष बांझपन का स्थाई उपचार उपलब्ध है। आयुर्वेद में कई ऐसी हर्बल दवाईयाँ हैं, जो पुरुष के वीर्य में सुधार करके उनकी प्रजनन क्षमता को बढ़ाती हैं। प्राकृतिक तरीके से पुरुष बाँझपन को दूर करने में किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नही होता है।’ आयुर्वेद मुख्य रूप से दिनचर्या, योग, निद्रा, आहार, इत्यादि पर अधिक जोर देता है जिससे गंभीर से गंभीर बीमारी में बहुत ही जल्द सफलता प्राप्त हो जाती है।